Examine This Report on sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं click here कुरुष्व मे।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षम् ।